FII और DII क्या होता हैं? शेयर बाजार में इसका क्या प्रभाव पड़ता हैं? – FII DII Kya Hota Hai

शेयर बाजार में निवेश करने वाली संस्थाओं और निवेशकों का महत्वपूर्ण स्थान होता हैं, ये निवेशक शेयर बाजार की दिशा और बाजार में होने वाले उतार चढ़ाव को प्रभावित करते हैं। Fii और Dii दो ऐसे महत्वपूर्ण निवेशक हैं जो बाजार की दशा और दिशा दोनों तय करते हैं। ये दोनों प्रकार के निवेशक किसी भी बाजार के लिए बेहद ही अहम होते हैं. ये दोनों प्रकार के निवेशकों का निर्णय न केवल शेयर बाजार में उतार चढ़ाव लाता हैं, बल्कि इसका बाजार में निवेश किसी भी देश की अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा होता हैं। दोस्तों आप इस लेख में fii dii kya hota hai के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त करेंगें।

FII DII Kya Hota Hai – FII और DII क्या होता हैं?

FII और DII निवेश के क्षेत्र में बेहद महत्वपूर्ण शब्द होते हैं। FII (Foreign Institutional Investors) का मतलब विदेशी संस्थागत निवेशक हैं और DII (Domestic Institutional Investors) का मतलब घरेलू संस्थागत निवेशक हैं। FII और DII दोनों के निवेश निर्णयों को प्रभावित करते हैं।

FII (Foreign Institutional Investors) क्या होते हैं?

FII वे संस्थाएं होती हैं जो किसी अन्य देश के बाजार में निवेश करती हैं। इन संस्थाओं में म्यूचुअल फंड्स, पेंशन फंड्स, बीमा कंपनियां, विदेशी बैंक और अन्य प्रकार की वित्तीय संस्थाएं होती हैं।

FII का मुख्य उद्देश्य अपने देश के बाहर निवेश करना होता हैं, जहाँ उन्हें बेहतर रिटर्न मिल सके। FII का भारत की उभरती अर्थव्यवस्था में निवेश बहुत महत्वपूर्ण होता हैं क्योंकि FII को भारतीय अर्थव्यवस्था में विश्वास होता हैं और भारतीय शेयर बाजार से बेहतर रिटर्न मिलने की उम्मीद भी होती हैं।

FII का भारतीय शेयर बाजार में निवेश करना एक अच्छा संकेत होता हैं, इसका मतलब FII भारतीय बाजार को स्थिर और विकासशील मानते हैं। परिणामस्वरूप इनके निवेश से भारतीय बाजार में सकारात्मक प्रभाव देखने को मिलते हैं।

Foreign Institutional Investors के कुछ उदाहरण हैं।

  • जे.पी. मोर्गन
  • यूरो पैसिफिक ग्रोथ फंड
  • मोर्गन स्टैनली

DII (Domestic Institutional Investors) क्या होते हैं?

DII वे भारतीय निवेशक होते हैं, जो भारतीय शेयर बाजार में निवेश करके बेहतर रिटर्न कमाते हैं। DII में प्रमुख रूप से भारतीय म्यूचुअल फंड्स, बीमा कंपनियां, पेंशन फंड्स, बैंक और अन्य वित्तीय संस्थाएं शामिल होती हैं। जो भारतीय शेयर बाजार में निवेश करते हैं और बाजार में स्थिरता आती हैं।

DII का निवेश भारतीय बाजार के लिए महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि DII मुख्य रूप से घरेलू स्तर पर निवेश को बढ़ावा देते हैं और इससे भारतीय अर्थव्यवस्था को सपोर्ट मिलता हैं।

Domestic Institutional Investors के कुछ उदाहरण हैं।

  • ICICI प्रूडेंशियल
  • निप्पोन एएमसी
  • HDFC लाइफ

FII और DII का शेयर बाजार पर प्रभाव

FII और DII दोनों का निवेश भारतीय शेयर बाजार के काफी अच्छा होता हैं, और इनका निवेश बाजार पर गहरा प्रभाव डालते हैं। आइये जानते हैं कि इनके निवेश से भारतीय बाजार पर क्या प्रभाव होता हैं।

FII का शेयर बाजार पर क्या प्रभाव पड़ता हैं?

शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव: FII का निवेश बाजार में बहुत ज्यादा होता हैं, और जब FII शेयर बाजार से पैसा निकालते हैं तो शेयर बाजार में भारी गिरावट देखने को मिलती हैं। वही अगर FII शेयर बाजार में निवेश करते हैं, तो यह बाजार के लिए अच्छा होता हैं और बाजार में तेज़ी देखने को मिल सकती हैं।

शेयर के कीमत पर असर: FII का निवेश शेयरों की कीमतों को प्रभावित करता हैं। जब FII बड़ी मात्रा में खरीदारी करते हैं, तो शेयर की कीमत बढ़ाना शुरू हो जाती हैं। वही अगर FII बड़ी मात्रा में बेचते हैं, तो शेयर की कीमत गिरना शुरू हो जाती हैं।

DII का शेयर बाजार पर क्या प्रभाव पड़ता हैं?

बाजार में स्थिरता: अगर DII घरेलू बाजार में अधिक निवेश करते हैं, तो इनके निवेश से बाजार स्थिर रहता हैं, क्योंकि DII बाजार में लंबी अवधि के लिए निवेश करते हैं। DII का मुख्य उद्देश्य बाजार में स्थिरता और अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देते हैं।

निवेश को बढ़ावा देना: शेयर बाजार में DII का निवेश अन्य निवेशकों को निवेश करने के लिए बढ़ावा देता हैं।

निष्कर्ष

FII और DII दोनों ही शेयर बाजार में अहम भूमिका निभाते हैं। दोनों ही बाजार में आवश्यक प्रतिभागी हैं जो अपने निवेश के माध्यम से शेयर बाजार पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालते हैं। जहां FII विदेशी निवेशकों का और DII घरेलू संस्थाओं का प्रतिनिधित्व करता हैं। दोनों का निवेश शेयर बाजार के लिए जरूरी होता हैं। दोनों का निवेश भारतीय अर्थव्यवस्था और शेयर बाजार को मजबूती प्रदान करते हैं। आप FII और DII के निवेश की दिशा को समझकर निवेशक निवेश करने का निर्णय लेते हैं। निवेशक को निवेश करते समय FII और DII के रुझान को समझना होता हैं और उनकी गतिविधियों को देखना पड़ता हैं।

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